Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (16)

वो शख्स रश्मि को मोहन के घर के भीतर ले गया ओर एक कमरे कि तरफ बढ़ने लगा। 

एक बड़े से कमरे में लाकर उसने रश्मि को बैड पर लिटा दिया। रश्मि अभी भी बेहोश थी। 
बैड के पास रखें दराज़ में से उस शख्स ने फर्स्ट एड बॉक्स निकाला ओर रश्मि के जख्मों पर लगाने लगा। उसने रश्मि को बैड पर रखी बेल्केंट ओढ़ाई ओर कमरे का दरवाजा बंद करके मोहन के कमरे कि ओर चल दिया। 

मोहन ने उसको आते देख ही घबराते हुए बोला :- मैने कुछ नहीं किया बेटा, वो लड़की खुद मेरे पास आई थी। वो खुद मुझसे पैसो के बदले ये सब.. 

उस शख्स ने उसकी बात काटते हुए कहा :- मैं उसे अच्छी तरह जानता हूँ अंकल जी ...... इसलिए मुझसे तो झूठ बोलना मत। 
आप मुझसे बड़े है इसलिए इस वक़्त आपको सिर्फ समझा रहा हूँ...., वरना आप भी जानते हैं मैं क्या कर सकता हूँ....। 


इतने मैं रश्मि के जोर से चिल्लाने की आवाज आई। 
वो शख्स भाग कर रश्मि के कमरे में गया, रश्मि बैड के एक कोने में डरी सहमी हुई, रोती हुई चिल्ला रही थी। प्लीज मुझे जाने दो, मुझे छोड़ दो। 
रश्मि कि नजर जैसे ही उस शख्स पर पड़ी....वो दौड़ कर उसकी तरफ आई ओर उसके सीने से लग कर रोते रोते बोलने लगी प्लीज मुझे बचा लिजिए, मुझे यहाँ से ले चलिए वो मुझे मार डालेगा। 


उस शख्स ने रश्मि के दोनों कंधों को पकड़ते हुए कहा :- रश्मि तुम्हे कुछ नहीं होगा मैं हूँ ना ......तुम्हारे साथ, घबरओ मत। 

पर रश्मि कुछ भी नहीं सुन रही थी वो बहुत ज्यादा डरी हुई थी। बस रोए जा रही थी.......ओर बोले जा रही थी। 
वो शख्स उसे बार बार बार समझा रहा था पर रश्मि अपने होश में ही नहीं थी। 


मजबूर होकर उस शख्स ने रश्मि को एक थप्पड़ मार दिया, ओर बोला रश्मि होश में आओ.....। कुछ नहीं हुआ हैं तुम्हारे साथ....। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। 


रश्मि का रोना बंद हो गया। कुछ देर अपनी नजरें नीची करके खड़ी रही। 

उस शख्स ने रश्मि का हाथ पकड़ते हुए कहा:- आइ एम सॉरी.....मैं मजबूर था......तुम ठीक तो.....हो .....रश्मि....? 
आई एम सॉरी बट तुम कुछ सुन ही नहीं रही थी तो.. 


रश्मि ने नजरें उठा कर देखा ओर फिर से रोने लगी....। 

रश्मि रोते रोते बोली- आप यहाँ कैसे.......? 

ये मेरा ही घर है रश्मि.. वो शख्स बोला.....। 

मोहन अंकल मेरे चाचा है ओर रिषभ मेरा भाई हैं। 
उन दोनों का नाम सुनते ही रश्मि फिर से घबरा गई ओर डर रही थी । 
वो कुछ बोल नही पा रही थी। 
बस रोए जा रही थी। 

उसे इस तरह डरा हुआ देख उस शख्स ने उसे अपनी बांहों में भर लिया ओर कहा डरो मत रश्मि अब मैं हूँ यहाँ.....। 

रश्मि भी अपने आपको बहुत सुरक्षित महसूस कर रही थी उसकी बाहों में। 

रश्मि उसके सीने से लगे हुए ही बोली लेकिन सर आप तो.. 


सर नहीं रोहित...  उसने बीच में टोकते हुए कहा। तुम यहाँ आराम से बैठो....। 
मैं यहाँ कैसे आया, क्यूँ आया.....। सब बताउँगा.....। पर वक़्त आने पर अभी तुम बस आराम करो ......मैं कुछ खाने को लाता हूं। 


रोहित जैसे ही उठा रश्मि ने उसका हाथ पकड़ लिया ओर रोते हुए कहा..प्लीज मत जाइए सर वरना वो फिर से.. 


रोहित उसकी बात काटते हुए बोला:- पहले तो मुझे सर नहीं सिर्फ रोहित बोलो। मेरा नाम इतना बुरा भी नहीं है रश्मि.....।
ओर दुसरी बात अब तुम्हारी तरफ देखने की किसी में भी हिम्मत नहीं है। इसलिए डरो मत। मैं बस अभी आया। 
रोहित ने अपना हाथ छुड़ाया ओर कहा - मेरा विश्वास करो रश्मि.....। 

रश्मि ने रोहित का हाथ छोड़ दिया। ओर बैड पर लेट गई। 

रोहित किचन में गया ओर रश्मि के लिए ब्रेड, बटर, ओर चिप्स लेकर आया। 

वो रश्मि के पास आया तो वो सो चुकी थी, सोते हुए भी उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। 
रोहित मन ही मन सोच रहा था कि सच ही कहा है किसी ने जिसका दर्द वो ही जाने। 
वो रश्मि के पास बैठ गया ओर उसके सिर पर हाथ घुमाता हुआ बोला.. :- आई एम सॉरी रश्मि लेकिन मैं चाहकर भी अंकल को कुछ नहीं कर सकता। मैं बहुत मजबूर हुं। लेकिन अब मैं तुम पर कोई आंच नहीं आने दुंगा। अब तुम पर आने वाली हर भला को मुझसे टकराना पड़ेगा....ये वादा रहा मेरा तुमसे.....। 

ऐसा कहकर रोहित ने रश्मि को बेलंकेट ओढ़ाई ओर उसके पास ही रखे सोफे पर बैठ गया ओर रश्मि को एकटक देखता रहा....। 



आखिर रोहित वहां आया कैसे....? 
क्या वो पहले से सब जानता था...? 
जानने के लिए इंतजार करें अगले भाग का...। 


# कहानीकार प्रतियोगिता

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1 Comments

Milind salve

03-Aug-2023 02:48 AM

Nice one

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